प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम
विभाग का एक प्रमुख लक्ष्य है, विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी विकास। विभाग, प्रौद्योगिकी विकास परियोजनाओं को सहयोग प्रदान कर रहा है। इन परियोजनाओं में सामग्री, उपकरण और प्रक्रियाएं शामिल हैं। यह कार्यक्रम, विकसित/उभरते हुए क्षेत्रों तथा परंपरागत क्षेत्रों-दोनों में ही प्रौद्योगिकी विकास से जुड़ी गतिविधियों का समर्थन करता है। कार्यक्रम के तहत, नये विचारों/अवधारणों का मूल्यांकन किया जाता है कि क्या इसे उपयोगी तकनीकी उत्पाद के रूप में परिणत किया जा सकता है?
टीडीपी
प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम का लक्ष्य तकनीक/प्रक्रिया/उत्पाद के सम्बन्ध में नयी अवधारणाओं को अग्रिम प्रारूप में बदलना है ताकि वास्तविक क्षेत्र में प्रदर्शन के आधार पर इसे प्रमाणित किया जा सके। इन तकनीकों के व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए अतिरिक्त मूल्यांकन की आवश्यकता है लेकिन यह प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम के दायरे में नहीं आता है। इस परियोजना के अर्न्तगत विकसित किए गए तकनीकों को उद्योग जगत को हस्तांतरित करने की जिम्मेदारी मेजबान संस्थान की होनी चाहिए। वर्तमान तकनीकों के आगे की आर एंड डी के लिए दिए गए प्रस्तावों पर विचार किया जा सकता है। उत्पादों व प्रक्रियाओं के लिए विकसित किये जाने वाले सॉफ्टवेयर/आई.टी से संबंधित प्रस्तावों पर विचार किया जाएगा। केवल सॉफ्टवेयर विकास, इस कार्यक्रम के दायरे में नहीं आता है।
लक्ष्य
- चिन्हित किये गए क्षेत्रों में नई तकनीकों के विकास के लिए समर्थन प्रदान करना।
- वर्तमान तकनीक के प्रदर्शन और मूल्यवर्धन को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक तकनीक के अनुप्रयोग को प्रोत्साहन प्रदान करना।
- तकनीक विकास के क्षेत्र में क्षमता निर्माण।
टीडीपी के तहत प्रस्ताव आमंत्रण के प्रमुख क्षेत्र
- उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी (ए एम टी)
- अपशिष्ट प्रबंधन प्रौद्योगिकी (डब्ल्यू एम टी)
- जैव-चिकित्सा उपकरण और प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम (बी डी टी डी)
- उपकरण विकास कार्यक्रम (डी डी पी)
- प्रौद्योगिकी विकास कार्यक्रम (टी डी पी)
- विद्युत मोबिलिटी के लिए डी एच आई-डी एस टी प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म (टी पी ई एम)
टीडीपी के तहत प्रस्ताव जमा करने की पात्रता
शिक्षा संस्थानों/पंजीकृत संस्थाओं/आर एंड डी संस्थानों/प्रयोगशालाओं में कार्य कर रहे वैज्ञानिक/इंजीनियर/तकनीकी विशेषज्ञ वित्तीय सहायता के लिए प्रस्ताव दे सकते हैं। इनके पास प्रौद्योगिकी विकास कार्यों/प्रारूप निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना/सुविधाएं होनी चाहिए।
कार्यान्वयन की पद्धति
- प्रौद्योगिकी विकास पहलों के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करना।
- विशेषज्ञों और संस्थानों की पहचान करना जो प्रौद्योगिकी विकास गतिविधियों की रूपरेखा बनाने और इन्हें लागू करने में सक्षम हों।
- वैज्ञानिक / तकनीकी पत्रिकाओं में विज्ञापन के माध्यम से प्रस्ताव को सुलझाने और वेबसाइट पर प्रस्ताव के लिए कॉल लॉन्च करना
मूल्यांकन मानदंड
- प्रस्ताव की प्रासंगिकता और वैज्ञानिक गुणवत्ता ।
- उद्देश्यों और उत्पादों के स्पष्ट वक्तव्य की उपलब्धता।
- विकास की समाप्ति पर उपलब्ध विकल्पों के संदर्भ में तकनीकी और आर्थिक संभाव्यता।
मूल्यांकन तंत्र
- आदेश के तहत प्रस्ताव की प्रासंगिकता का मूल्यांकन करने के लिए प्रारंभिक जांच-पड़ताल।
- व्यापक परामर्श के लिए सहकर्मी-समीक्षा।
- वित्तीय सहायता के लिए संबंधित महत्त्वपूर्ण-समूह (पी ए सी / ई ए सी) की अनुशंसाएं।
उपलब्धियां: प्रौद्योगिकियां विकसित और प्रदर्शित हुईं5.81 MB
ड्रग्स फ़ार्मास्युटिकल रिसर्च प्रोग्राम (डी पी आर पी)
परिचय
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से बदलते आर्थिक, व्यापार और बौद्धिक संपदा परिदृश्य में विश्व स्तर पर नेता और प्रतिस्पर्धी बनने की चुनौती सहित कई चुनौतियां हैं। यह नए अणुओं की खोज और व्यावसायीकरण करने के लिए अभिनव प्रक्रिया मार्गों के माध्यम से केवल ज्ञात दवाओं के निर्माण से दूर जाने के लिए दवा उद्योग के दृष्टिकोण में बदलाव की आवश्यकता है। पारंपरिक औषधीय प्रणाली और हमारे देश की बड़ी जैव-विविधता के संचित ज्ञान से दवा उद्योग को काफी लाभ मिलता है। हालांकि, वर्तमान में, अंतरराष्ट्रीय ऑपरेटरों की तुलना में अपने छोटे आकार के कारण अधिकांश भारतीय दवा कंपनियां व्यवहार्य नई दवा विकास कार्यक्रम में निवेश करने की स्थिति में नहीं हैं - दवा विकास एक जोखिम भरा, संसाधन गहन और समय लेने वाली प्रक्रिया है।एक ही समय में कई भारतीय राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं और शैक्षणिक संस्थानों ने दवा विकास के चुनिंदा क्षेत्रों में प्रभावशाली बुनियादी ढांचे की विशेषज्ञता स्थापित की है। इस प्रकार, यह उद्योग-संस्था संपर्क के लिए एक मजबूत मामला है।
विज्ञान और विरासत अनुसंधान पहल (एस एच आर आई)
कार्यक्रम-योजना विवरण
विज्ञान और विरासत अनुसंधान पहल (एस एच आर आई) विरासत अनुसंधान के क्षेत्र में एक नया कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य है –आंकड़ा – संग्रह व विश्लेषण, नये सहयोग स्थापित करना और सांस्कृतिक विरासत सम्बन्धी मामलों के समाधान के लिए व्यावहारिक तकनीक प्रदान करना। लक्ष्य और उद्देश्य एस एच आर आई की परिकल्पना का लक्ष्य है -
- मानव संसाधन में क्षमता निर्माण तथा इन क्षेत्रों में कार्य करने के लिए नये शोद्यार्थियों को प्रोत्साहित करना।
- विरासत की वस्तुओं के संरक्षण के लिए आर एंड डी गतिविधियों को प्रोत्साहन देना। इसमें शामिल हैं – सामग्री के क्षय होने की प्रक्रिया, संरक्षण तकनीक, हस्तक्षेप प्रौद्योगिकी, नयी सामग्री, पुनरुद्धार के लिए प्रक्रियाएं और निदान-प्रौद्योगिकी।
- हमारी सांस्कृतिक विरासत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता प्राप्त उपयोग, प्रतिनिधितत्व, अभिव्यक्ति, ज्ञान व तकनीक, समुदाय, समूह व कुछ मामलों में व्यक्तियों को संरक्षण प्रदान करना।
- पुरानी पीढ़ियों की विरासत और कलाकृतियों जो मानव-सभ्यता के विकास के साक्षी रहे है, के संरक्षण के लिए नये दृष्टिकोण और अत्याधुनिक तकनीक का पता लगाना।
- पुरातात्विक विज्ञान के उन्नत ज्ञान का विभिन्न क्षेत्रों में अनुप्रयोग को बढ़ावा देना।
- मूल्यवर्धन के लिए जनजातीय कला में आर एंड डी गतिविधियों तथा तकनीकी प्रगति को बढ़ावा देना।
उल्लिखित महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं : - -
- विरासत सामग्री/धातु का अध्ययन।
- पुरातात्विक अवशेषों का पता लगाने के लिए।
- वस्तु के उप-सतह सूक्ष्म संरचना का यथास्थान व गैर-आक्रामक इमेजिंग, विरासत सामग्री आदि की टिकाऊ रेडियोग्राफी।
- विरासत वस्त्र-यार्न की देखभाल, बुनाई, मुद्रण, पर्यावरण-अनुकूल रंग, सीमेंट परत के लिए नई तकनीकें।
- भित्ति चित्रों के लिए लवणयुक्त और कृत्रिम परत, उदाहरण के लिए कलाकारों के एक्रिलिक घोल पेंट परत के लिए सतह विज्ञान का अनुप्रयोग।
- प्राचीन कलाकृतियों की स्थिति-निगरानी।
- जनजातीय कलाएं/विरासत
- नयी सामग्री का विकास
- संरक्षण तकनीकें
- संरक्षण के लिए उपकरण/प्रक्रिया का विकास
- उपरोक्त के अतिरिक्त विरासत से संबंधित कोई अन्य क्षेत्र
प्रस्ताव का आमंत्रण - विज्ञान और विरासत अनुसंधान पहल (एस एच आर आई) 1.06 MB | कृपया आमंत्रण चित्र (विज्ञापन) देखें।(Ad) | प्रारूप को डाउनलोड करें।346.84 KB
विज्ञान और विरासत अनुसंधान पहल (एस एच आर आई) के तहत प्रस्ताव जमा करने की अंतिम तिथि 16 फरवरी, 2018 तक बढ़ा दी गई है।
अधिक जानकारी के लिए
डॉ. नीरज शर्मा
वैज्ञानिक जी और प्रमुख (टी डी टी)
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन
नई दिल्ली-110 016
टेलीफैक्स : 011-26964781
ईमेल: - neerajs[at]nic[dot]in
टीपीईएम और एएमटी के कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए
री साजिद मुबाशिर
वैज्ञानिक जी
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन
नई दिल्ली-110 016
टेली: 011-26512463
ईमेल: - sajid[at]nic[dot]in
डी डी पी, टी डी पी, बी डी टी डी और डब्ल्यू एम टी के कार्यक्रमों के बारे में अधिक जानकारी के लिए
डॉ. अनीता अग्रवाल
वैज्ञानिक ई
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन
नई दिल्ली-110 016
टेली: 011-26590343
ईमेल: anita[dot]a[at]nic[dot]in
डॉ. अखिलेश मिश्रा (डी डी पी और टी डी पी)
वैज्ञानिक डी
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय
रौद्योगिकी भवन
न्यू महरौली रोड
नई दिल्ली- 110 016
टेली: 011-26590254
ईमेल: akhilesh[dot]mishra[at]nic[dot]in
डॉ. कृष्ण कंठ पुलिचेरला (डब्ल्यू एम टी)
वैज्ञानिक सी
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन
नई दिल्ली-110 016
टेली: 011-26590493
ईमेल: kkpulicherla[dot]dst[at]gov[dot]in
श्री. मोहिंदर सिंह
वैज्ञानिक बी
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन
नई दिल्ली-110 016
टेली: 011-26590 287.
ईमेल: s[dot]mohinder[at]nic[dot]in
श्री. प्रमोद शंकर
कनिष्ठ विश्लेषक
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन
नई दिल्ली-110 016
टेली: 011-26590 219.
श्री. मधुसूदन पिल्लई
जूनियर तकनीकी सहायक
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन
नई दिल्ली-110 016
टेली: 011-26590 648