विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान (एआई) प्रभाग को विभाग के अंतर्गत 26 स्वायत्त संस्थानों (16 आरएंडडी संस्थान, 05 सेवा संगठन और 05 वृत्तिक निकाय/विज्ञान अकादमियां) के प्रशासन की देखभाल का दायित्व सौंपा गया है।
डीएसटी द्वारा प्रशासित स्वायत्त संस्थानों (एआई) को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, भारतीय न्यास अधिनियम या संसद के किसी अधिनियम के अधिनियमन द्वारा स्थापित किया गया है। लंबे और संजोए इतिहास और विविधतापूर्ण गतिविधियों वाले इन संस्थानों का देश के एसएंडटी पारितंत्र में महत्वपूर्ण स्थान है। इनमें से अधिकांश डीएसटी के अस्तित्व में आने से पूर्व स्थापित किए गए थे। इनमें से कई का इतिहास स्वतंत्रता से भी पहले का है। जब कभी यह महसूस किया गया कि थोड़ा स्वतंत्र रूप से और सरकारी तंत्र के दिनानुदिन हस्तक्षेप के बिना सरकारी संरचना से बाहर कतिपय विशिष्ट कार्यों का निर्वहन किए जाने की आवश्यकता है, कुछ स्वायत्त संस्थानों की स्थापना की गई। इनमें से कुछ का राज्य सरकारों द्वारा अधिग्रहण कर लिया गया।
ये स्वायत्त संस्थान काफी हद तक भारत सरकार के सहायता अनुदान पर निर्भर करते हैं। नीतियों के लिए कार्यढांचा तैयार करने, वैज्ञानिक विषयों और प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान संचालित करने जैसी विविध गतिविधियों में संलग्न होने के कारण ये संस्थान डीएसटी के कार्यकरण में प्रमुख हितधारक हैं।
इन 26 स्वायत्त संस्थानों की संक्षिप्त पृष्ठभूमि नीचे प्रस्तुत की गई है।
- डीएसटी परिवार के 16 अनुसंधान संस्थान कई दृष्टिकोणों से बहुत ही विशिष्ट समूह हैं। इनमें से कुछ देश के सबसे पुराने अनुसंधान संस्थानों में से हैं जिन्हें महेंद्र लाल सरकार, सीवी रमन, जेसी बोस, बीरबल साहनी और डीएन वाडिया आदि जैसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और हस्तियों द्वारा स्थापित किया गया था। इनमें से कुछ संस्थान बहुत ही प्राचीन और मूल्यवान वैज्ञानिक डेटा का निधान हैं और खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी, भू-चुंबकत्व, उन्नत सामग्री तथा नैनो विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी – आदि जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में राष्ट्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। एससीटीआईएमएसटी-त्रिवेंद्रम और एआरसीआई-हैदराबाद को छोड़़कर शेष संस्थान मौलिक अनुसंधान संस्थान हैं। एससीटीआईएमएसटी-त्रिवेंद्रम स्वदेशी जैव-चिकित्सा उपकरण विकास के क्षेत्र में राष्ट्रीय पथप्रदर्शक है जिसने देश में स्वास्थ्य देखभाल की लागत को कम करने में सहायता प्रदान की है। कोविड-19 महामारी के क्रियाकलाप में, एससीटीआईएमएसटी ने कई उत्पादों के विमोचनार्थ फास्ट ट्रैक पद्धति तैयार की है, जिनमें से कुछ का पहले ही व्यवसायीकरण किया जा चुका है और कोविड-19 महामारी के प्रबंधन के लिए उपयोग किया जा रहा है। एआरसीआई-हैदराबाद ने उन्नत सामग्री के क्षेत्र में प्रमुख प्रौद्योगिकी विकास और अंतरण संगठन के रूप में अपने लिए बहुत ही विशेष स्थान बनाया है। इन अनुसंधान संस्थानों के पास अपने वैज्ञानिकों और अपने आविष्कारों द्वारा अर्जित अनुसंधान प्रकाशनों और पुरस्कारों तथा सम्मानों का प्रभावशाली पोर्टफोलियो है।
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देश के सभी 5 प्रमुख विज्ञान और इंजीनियरिंग पेशेवर निकाय, अर्थात् आईएनएसए-दिल्ली, आईएएस-बैंगलोर, एनएएसआई-इलाहाबाद, आईएनएई-दिल्ली और आईएससीए-कोलकाता डीएसटी परिवार के हैं। इनमें से अधिकांश प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों और व्यक्तियों द्वारा स्थापित बहुत पुराने संगठन हैं, जिनमें भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन भी शामिल है, जो एक सदी से भी अधिक पुराना है।ये पेशेवर निकाय, अपनी विविध गतिविधियों के माध्यम से, एस एंड टी से संबंधित राष्ट्रीय महत्व के नीतिगत मुद्दों पर विचार-विमर्श करते हैं और पत्रिकाओं, बैठकों, सम्मेलनों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक-विनिमय कार्यक्रमों के माध्यम से वैज्ञानिक ज्ञान के प्रसार में मदद करते हैं।हाल के दिनों में, वे देश में युवा छात्रों और विज्ञान शिक्षकों पर केंद्रित विशेष मानव संसाधन विकास कार्यक्रमों के लिए महत्वपूर्ण माध्यम बने हैं।
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4 विशेष ज्ञान संस्थान और एस एंड टी सेवा संगठन - टाइफैक, नेक्टर, विज्ञान प्रसार और एनआईएफ – अपने आप में अद्वितीय हैं। टाइफैक सभी हितधारकों को अंतर्ग्रस्त करते हुए संरचित तरीके से विभिन्न क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी पूर्वानुमान का उपगमन करता है और देश भर में प्रौद्योगिकी विकास और प्रसार के नए साधनों को भी बढ़ावा देता है। टाइफैक द्वारा 2035 का प्रौद्योगिकी विजन दस्तावेज इसकी महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक है। नेक्टर पूर्वोत्तर राज्यों की विशिष्ट समस्याओं के समाधान खोजने के लिए प्रौद्योगिकियों के प्रापण में अद्वितीय है और विज्ञान प्रसार विज्ञान संचार और लोकप्रियकरण के साधनों के संबंध में नवाचार करता है। विज्ञान प्रसार का चैनल इंडिया साइंस वैज्ञानिक कहानियों और एपिसोड के नियमित प्रसारण के लिए प्रसिद्ध है। एनआईएफ अद्वितीय निकाय है जो आधारभूत नवाचारों की तलाश करता है और उन्हें व्यवहार्य, प्रौद्योगिकी सहायित उत्पादों या प्रक्रियाओं में विकसित करने में सहायता प्रदान करता है। आज की तारीख तक एनआईएफ ने चौदह राज्यों के 58 नवोन्मेषकों की 78 प्रौद्योगिकियों के अधिकार प्राप्त कर लिए हैं।
संस्थानों की सूची उनकी गतिविधियों सहित नीचे दी गई है: