भारतीय ताराभौतिकी संस्थान देश का एक प्रमुख संस्थान है, जो खगोल ताराभौतिकी एवं संबंधित भौतिकी में शोधकार्य को समर्पित है। इसका उद्गम मद्रास (चेन्नै) में 1786 में स्थापित की गई एक निजी वेधशाला से जुड़ा है, जो वर्ष 1792 में नुंगम्बाकम में मद्रास वेधशाला के रूप में कार्यशील हुई। वर्ष 1899 में इस वेधशाला को कोडैकनाल में स्थानांतरित किया गया। 1971 में कोडैकनाल वेधशाला ने एक स्वायत्त संस्था भारतीय ताराभौतिकी संस्थान का रूप ले लिया। संस्थान का मुख्यालय कोरमंगला, बेंगलूर में अपने नए परिसर में वर्ष 1975 में स्थानांतरित हो गया। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अवलंब से संचालित यह संस्थान आज देश में खगोल एवं भौतिकी में शोध एवं शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र बन गया है। संस्थान की प्रमुख प्रेक्षण सुविधायें कोडैकनाल, कावलूर, गौरीबिदनूर एवं हान्ले में स्थापित हैं।
एक शताब्दी से भी अधिक समय से कोडैकनाल वेधशाला प्रेक्षणात्मक सौर एवं वायुमंडलीय भौतिकी में सक्रियता का मुख्य केन्द्र रही है। कावलूर स्थित वेणुबप्पू वेधशाला 1960 के दशक से रात्रिकालीन खगोल की मुख्य प्रकाशिक वेधशाला रही है। यहां अनेक दूरदर्शी कार्यशील हैं जिनमें प्रमुख हैं - 2.34 मीटर वेणुबप्पू दूरदर्शी। गौरीबिदनूर रेडियो वेधशाला में एक डेकामीटर तरंग रेडियो दूरदर्शी विन्यास एवं रेडियो होलियोग्राफ स्थापित है।
दक्षिण पूर्व लद्दाख के हान्ले नामक स्थान में स्थापित की गई नई उच्च उत्तुंग भारतीय खगोल वेधशाला ने संस्थान की रात्रिकालीन खगोल संबंधी सुविधाओं में वृद्धि की है। यहां वर्ष 2001 से 2 मीटर व्यास का हिमालयन चंद्रा दूरदर्शी कार्यरत है। सात इकाइयों वाला एक उत्तुंग गामा किरण दूरदर्शी भी हान्ले में हाल ही में स्थापित किया गया है।
बेंगलूर परिसर में एक विशाल पुस्तकालय, संगणक केन्द्र, भौतिकी एवं इलेक्ट्रॉनिकी प्रयोगशालायें, प्रकाशिकी तथा यांत्रिक कार्यशालायें विद्यमान हैं जो संस्थान के सक्रिय उपकरण विकास कार्यक्रम को ठोस अवलंब देती है।