पूरे देश के विज्ञान विशेषज्ञ राष्ट्रीय सम्मेलन – नैनो इंडिया, 2019 के लिए इकट्ठा हुए। यह सम्मेलन महात्मा गांधी विश्वविद्यालय, कोट्टायम में आयोजित किया गया था। आयोजन का उद्देश्य था राष्ट्रीय विकास के लिए नैनो तकनीक के उपयोग से उत्पादों और प्रक्रियाओँ को बेहतर बनाना। इसके लिए सुरक्षित पेयजल, सामग्री विकास, सेंसर विकास, दवा वितरण आदि राष्ट्रीय प्रासंगिकता वाले क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया गया।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा आयोजित नैनो इंडिया, 2019 का उद्घाटन करते हुए भारत रत्न प्रो. सी.एन.आर.राव ने कहा कि ऊर्जा, क्वांटम सामग्री और कृषि जैसे क्षेत्रों में नैनो विज्ञान के उपयोग के लिए विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने युवा छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें समस्याओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे अनूठे कार्य करने चाहिए कि भारत एक दिन इस क्षेत्र में शीर्ष स्थान प्राप्त करे।
नैनो तकनीक ज्ञान – आधारित और सक्षम प्रौद्योगिकी है जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और विकास के लिए दूरगामी प्रभाव वाले उत्पादों और प्रक्रियाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रभावित कर सकती है। पूरे देश के विश्वविद्यालयों, प्रयोगशालाओँ और उद्योगों के विशेषज्ञों ने सामाजिक चुनौतियों का सामना करने के लिए नैनो विज्ञान और नैनो तकनीक के क्षेत्र में हो रहे सहयोगी अनुसंधान को रेखांकित किया है। विशेषज्ञों ने अपने विचार द्विवार्षिक सम्मेलन के दौरान व्यक्त किये और इस क्रांतिकारी तकनीक को अधिक समावेशी बनाने के उपायों पर विचार-विमर्श किया।
महात्मा गांधी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर साबू थॉमस ने कहा कि नैनो इंडिया, नैनो तकनीक क्षेत्र हो रहे कार्यों को प्रदर्शित करने तथा नैनो विज्ञान तकनीक के क्षेत्रों में सहयोगी अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के विचारों के आदान-प्रदान का एक मंच है।
दो दिवसीय कार्यक्रम के दौरान वरिष्ठ और युवा वैज्ञानिकों ने नैनो सामग्री, नैनो औषधि, नैनो उपकरण, नैनो कण, नैनो सेंसर, नई तकनीक जैसे विभिन्न विषयों पर व्याख्यान दिए और प्रस्तुतियां दीं। कार्यक्रम में एक पोस्टर सत्र रखा गया था जिसमें युवा शोधार्थी अपने कार्य की प्रस्तुति, विचारों का आदान-प्रदान तथा अनुसंधान को व्यापक बनाने के लिए नेटवर्किंग कर सकते थे। पोस्टर सत्र की विषयवस्तु (थीम) थी – स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, नैनो पॉलीमर, गुण के आधार पर सामग्री का विवरण, पारितंत्र, आधुनिक उपकरण, सेंसर अनुप्रयोग, कार्बन-सामग्री, प्लाजमोनिम्स और ऊर्जा।
नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी शोध पुरस्कार तथा युवा अनुसंधान पुस्कारों से क्रमशः प्रो. ओ.एन. श्रीवास्तव, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, डॉ. मुरली बनवोठ, हैदराबाद विश्वविद्यालय और डॉ. दीपांकर मंडल, नैनो विज्ञान संस्थान, मोहाली सम्मानित किया गया।
पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों ने अपने कार्यक्षेत्र के बारे में जानकारी दी। प्रो. ओ.एन.श्रीवास्तव ने जलवायु अनुकूल ईंधन, हाइड्रोजन की व्यवहार कुशलता बढ़ाने में नैनो सामग्री की भूमिका को रेखांकित किया। हाइड्रोजन अक्षय और पर्यावरण अनुकूल है क्योंकि हाइड्रोजन का उत्पादन सौर ऊर्जा के उपयोग से जल के पृथ्क्करण के माध्यम से किया जाता है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार हाइड्रोजन ईंधन का एक किफायती व स्वदेशी विकल्प हो सकता है।
विभिन्न वक्ताओं के मध्य-भारत विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु के प्रो. डी.डी.सरमा ने रसायनिक रूप से परत बने MOS2 के मेटास्टैबल स्थिति की इलेक्ट्रॉनिक संरचना के बारे में जानकारी दी। एसईआरबी के सचिव डॉ. संदीप वर्मा ने न्यूट्रॉन को संशोधित पूरिन क्षार और नाइट्रिक ऑक्साइड के वितरण से संबंधित अपने कार्य की चर्चा की।
भारत सरकार ने 2007 में नैनो विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर एक मिशन (नैनो मिशन) के लांच को मंजूरी दी। इस मिशन के लिए 5 वर्षों के दौरान 1000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई। नैनो मिशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है – उभरते हुए इस क्षेत्र में अनुसंधान के लिए क्षमता निर्माण ताकि भारत इस क्षेत्र में वैश्विक ज्ञान-केन्द्र में आगे बढ़े। सम्मेलन में भारत में नैनो- विज्ञान में उत्कृष्टता को प्रोत्साहन देने के संदर्भ में सरकार के क्षमता –निर्माण प्रयासों के परिणाम की झलक दिखाई पड़ी।