8 जनवरी, 2017 को बंगलुरु में आयोजित 14वें प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन में माननीय प्रधानमंत्री ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा वज्र (विजटिंग एडवांस ज्वाइंट रिसर्च) योजना लांच करने की घोषणा की थी। यह योजना अप्रवासी भारतीय वैज्ञानिक समुदाय को भारत में अनुसंधान व विकास कार्यक्रम में योगदान देने का अवसर प्रदान करता है। विभाग के अन्तर्गत एक वैधानिक निकाय – विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एस ई आर बी) इस योजना को लागू करेगा।
वज्र संकाय देश के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी अनुसंधान का संचालन करेगा जिसमें क्षमता विकसित करने की जरूरत है। वज्र संकाय सार्वजनिक पोषित संस्थाओं का सहयोग प्राप्त करेगा।
वज्र संकाय में निवास अवधि 1 वर्ष के लिए न्यूनतम 1 महीने तथा अधिकतम 3 महीने होगी।
वज्र संकाय को पहले महीने के निवास के दौरान लगभग 15000 डॉलर दिये जाएंगे और शेष 2 महीनों के 10000 डॉलर प्रतिमास दिये जाएंगे। इस राशि में यात्रा भत्ता व मानदेय शामिल होगा। उनके निवास, चिकित्सा / व्यक्तिगत बीमा आदि के लिए कोई पृथक सहायता प्रदान नहीं की जाएगी। मेजबान संस्थान अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के सम्बन्ध में विचार कर सकता है।
भारतीय सहयोगी और विदेशी संकाय संयुक्त रूप से एक शोध योजना तैयार करेंगे और संस्थान के प्रमुख द्वारा विधिवत आवेदन भारतीय सहयोगी द्वारा ऑनलाइन जमा किया जाएगा।
प्रख्यात वैज्ञानिकों की एक चयन समिति आवेदनों का मूल्यांकन करेगी। समिति जनवरी और जुलाई में दो बार बैठक करेगी और सिफारिशें देगी। एस ई आर बी अप्रैल और सितंबर के महीने में परिणामों की घोषणा करेगा।
सार्वजनिक वित्त पोषित संस्थान तथा राष्ट्रीय प्रयोगशालाएं वज्र संकाय की मेजबानी करने के योग्य हैं। इन संस्थानों को उन्हें विजटिंग / अनुबंध संकाय के रूप में नियुक्त करना चाहिए और उन्हें छात्रों को दिशानिर्देश व मार्गदर्शन देने के कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए। संकाय को अन्य शैक्षिक गतिविधियों में शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है यदि मेजबान संस्थान और संकाय की सहमति हो।
संपूर्ण विवरण के लिए वेबसाइट देखें। www.vajra-india.in