भारत की पहली वैश्विक मेगा विज्ञान प्रदर्शनी, विज्ञान समागम का आज नेहरू विज्ञान केन्द्र, मुंबई में उद्घाटन हुआ। इस प्रदर्शनी में विश्व की मेगा विज्ञान परियोजनाएं भाग ले रहीं हैं। भारत के प्रसिद्ध रक्षा वैज्ञानिक और नीति आयोग के सदस्य डॉ. विजय कुमार सारस्वत ने पहले विज्ञान समागम का उद्घाटन किया।
Tविज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन चार शहरों – मुंबई, बेंगलुरू, कोलकाता और नई दिल्ली में किया जाएगा। प्रदर्शनी 11 महीनों तक चलेगी, जिसकी शुरुआत आज मुंबई में हुई है। विश्व में पहली बार ऐसा हो रहा है कि विश्व की सभी मेगा विज्ञान परियोजनाएं एक साथ एक ही स्थान पर इकट्ठी हुई हैं। यह प्रदर्शनी छात्रों, शिक्षा जगत और उद्योग जगत को संभावनाओं की तलाश करने का अवसर प्रदान करेगी। यह प्रदर्शनी उन स्कूली बच्चों, छात्रों और आकांक्षी व्यक्तियों को प्रेरित करेगी और उचित अवसर प्रदान करेगी जो मूलभूत विज्ञान में शोध व अनुसंधान को एक कैरियर विकल्प के रूप में देखते हं।
विज्ञान समागम का उद्घाटन करते हुए नीति आयोग के सदस्य डॉ. विजय कुमार सारस्वत ने मेगा विज्ञान परियोजनाओं से जुड़े वैज्ञानिकों को बधाई दी और इन परियोनजाओं में भारत के सहभागी होने की सराहना की। उन्होंने कहा कि विज्ञान समागम कैरियर के रूप में मूलभूत विज्ञान को अपनाने वालों की ज्ञान में वृद्धि करेगा और आम लोगों तथा समाज को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी प्रदान करेगा।
डॉ. वी.के. सारस्वत ने कहा कि विज्ञान समागम जैसे कार्यक्रम युवा पीढ़ी को प्रेरित करेंगे और मेगा विज्ञान परियोजनाओं में उद्योग जगत की सहभागिता से नवोन्मेष को बढ़ावा मिलेगा।
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के विजय राघवन ने 2050 में पृथ्वी की स्थिति के संबंध में एक प्रस्तुति दी और सतत विकास सुनिश्चित करने में विज्ञान की भूमिका को रेखांकित किया।
उन्होंने विज्ञान आधारित अवसरों को लोकतांत्रिक बनाने पर जोर दिया और युवाओं में निवेश करके अपने भविष्य को सुरक्षित करने की बात कही। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि विज्ञान समागम छात्रों में जागरूकता लाएगा, विज्ञान संबंधी जिज्ञासाओं को जागृत करेगा तथा देश की तकनीकी क्षमता को विकसित करने के लिए औद्योगिक सहभागिता आकर्षित करेगा।
जीएसटी के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा ने कहा कि 1 वर्ष तक कई शहरों में आयोजित होने वाले विज्ञान समागम को नए तरीकों का उपयोग करते हुए अधिक समावेशी बनाया जाना चाहिए। विश्व के इतिहास में एक महान क्षण है। जब हम ब्रह्मांड के पिछले 10 बिलियन वर्षों को प्रतिबिंबित करते हैं तो हम पिछले 10 वर्षों के दौरान मेगा विज्ञान परियोजनाओं में भारत के योगदान को भी स्वीकार करते हैं।
उन्होंने कहा कि मेगा विज्ञान परियोजनाओं में उद्योग जगत की सहभागिता बढ़नी चाहिए और अन्तर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भारतीय उद्योग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। विज्ञान समागम जैसे कार्यक्रमों से उद्योग जगत को यह पता चलेगा कि किन क्षेत्रों में अधिक सहभागिता की संभावना है।
Tविज्ञान समागम के उद्घाटन दिवस पर स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों से आए छात्रों, शिक्षकों, शोधार्थिओं ने प्रसिद्ध वैज्ञानिकों की प्रस्तुतियां देखी और प्रदर्शनी का जायजा लिया।
डीएई के सचिव श्री के.एन.व्यास ने कहा कि विज्ञान समागम युवाओं को कैरियर के रूप में विज्ञान का चयन करने का अवसर प्रदान करता है और उद्योग जगत को भी अवसर देता है वह उन क्षेत्रों का चयन करे जिसमें वे योगदान दे सकते हैं।
आईसीपीडी, डीएई के प्रमुख और सर्वोच्च समिति के संयोजक श्री अरुण श्रीवास्तव ने विज्ञान समागम की संक्षिप्त जानकारी दी और कहा कि यह छात्रों, शिक्षा जगत और उद्योग जगत के लिए मौलिक शोध के मूल्य और प्रभाव को रेखांकित करेगा। उन्होंने कहा कि यह प्रदर्शनी भारत और वैश्विक सहयोगियों के बीच विज्ञान संवाद का मंच प्रदान करती है। इससे प्रतिठित विज्ञान परियोजनाओं में भारत के योगदान में वृद्धि होगी।
नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी.के.सारस्वत, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के.विजय राघवन, परमाणु ऊर्जा विभाग के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग के चेयरमैन श्री कमलेश एन.व्यास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा, एनसीएसएम के महानिदेशक श्री एन.डी.चौधरी, सीईआरएन के प्रतिनिधि और गतिवर्धक एवं प्रौद्योगिकी के निदेशक डॉ. फ्रेडरिक बोर्ड तथा भारत में स्विट्जरलैंड के राजदूत डॉ. एंड्रियास बून जैसे गणमान्य व्यक्ति कार्यक्रम में शामिल हुए। इस प्रतिष्ठित वैश्विक प्रदर्शनी में मेजबान के रुप में विज्ञान समागम की सर्वोच्च समिति के चेयरमैन तथा न्यूक्लियर कंट्रोल एंड प्लानिंग विंग (एनसीपीडब्ल्यू) के प्रमुख श्री रणजीत कुमार, आईसीपीडब्ल्यू, डीएई के प्रमुख तथा सर्वोच्च समिति के संयोजक श्री अरुण श्रीवास्तव, नेहरु विज्ञान केन्द्र के निदेशक श्री शिवप्रसाद खेड़े तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के वैज्ञानिक प्रभाग के प्रमुख डॉ. प्रवीर अस्थाना इस अवसर पर उपस्थित थे। एआईसी के पूर्व चेयरमैन डॉ. पी.चिदंबरम, भारत के पूर्व पीएसए तथा प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. अनिल काकोदकर, डॉ. एस.बनर्जी, डॉ. आर.के.सिन्हा तथा डॉ. एस बसु भी इस मौके पर मौजूद थे।
मुंबई के बाद विज्ञान समागम का आयोजन 29 जुलाई, 2019 से 28 सितंबर, 2019 तक बेंगलुरु के विश्वेश्वरैया इंडसट्रियल एंड टेक्नोलोजिकल म्यूजियम में होगा। इसके बाद प्रदर्शनी 4 नवंबर, 2019 से 31 दिसंबर, 2019 तक कोलकाता के साइंस सिटी में आयोजित की जाएगी। अंतिम चरण में प्रदर्शनी का आयोजन 21 जनवरी, 2020 से 20 मार्च, 2020 तक नई दिल्ली के राष्ट्रीय विज्ञान केन्द्र में किया जाएगा। इसके बाद यह नई दिल्ली में एक स्थायी प्रदर्शनी के रूप में रहेगा और इसके देखभाल और रख-रखाव की जिम्मेदारी एनसीएसएम के हाथों में रहेगी।
विज्ञान समागम प्रदर्शनी आपको सूक्ष्म से स्थूल की ओर ले जाएगी। आप ब्रह्मांड को समझने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदायों के प्रयासों से परिचित होंगे। इस प्रदर्शनी में यह भी दिखाया जाएगा कि डीएई केवल न्यूक्लियर तकनीकों पर ही कार्य नहीं करता बल्कि मूलभूत विज्ञान में भी बड़े पैमाने पर शोध कार्य करता है। विज्ञान समागम प्रदर्शनी में ब्रह्मांड की कार्यविधि के बारे में दिखाया जाएगा। इसमें हिग्स कण की खोज, गुरुत्वाकर्षण तरंगों से लेकर न्यूट्रॉन तारों के विलय व ब्लैक होल के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस प्रदर्शनी में ब्रह्मांड की उत्पत्ति और विभिन्न चरणों में इसके विकास पर प्रकाश डाला जाएगा। यह प्रदर्शनी अंतरिक्ष विज्ञान, न्यूक्लियर प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में विश्व के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नवोन्मेष, शोध व अनुसंधान के प्रति भारत के योगदान को रेखांकित करेगी।
प्रतिष्ठित वैश्विक वैज्ञानिक संगठन भाग लेंगे
विज्ञान समागम में यूरोपीय न्यूक्लियर शोध संगठन (सीईआरएन), एंटी प्रोटोन और आयन शोध सुविधा (एफएआईआर), भारत स्थित न्यूट्रीनो वेधशाला (आईएनओ), इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरीमेंटल रिएक्टर (आईटीईआर), लेजर इंटरफेरोमीटर गुरुत्वाकर्षण तरंग वेधशाला (एलआईजीओ), 30 मीटर टेलिस्कोप (टीएमटी), स्कवेयर किलोमीटर एके (एसकेएस) जैसे प्रतिष्ठित संगठन शामिल होंगे।
प्रदर्शनी का प्रारूप
प्रदर्शनी में प्रत्येक मेगा विज्ञान परियोजना के लिए थीम (विषय वस्तु) आधारित पोस्टरों की गैलरी, प्रारूप और कार्यविधि व परिचालन, सूचनाएं प्रदान करने वाली ऑडियो-विजुअल सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले और इंटरऐक्टिव कियॉस्क होंगे। प्रत्येक शहर में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद दो दिनों का विज्ञान समारोह होगा जिसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत के प्रख्यात लोग भाषण एवं व्याख्यान देंगे। विभिन्न विज्ञान संगठनों, उद्योग जगत और शिक्षा जगत के प्रतिनिधि भी प्रदर्शनी में भाग लेंगे। प्रत्येक शहर में प्रदर्शनी के आयोजन के पहले दो दिनों में मेगा विज्ञान परियोजनाओँ में उद्योग जगत के सहभागी अपने योगदान को दर्शाने के लिए एक्सपो का प्रदर्शन करेंगे।
जागरूकता अभियान के तहत प्रत्येक परियोजना एक सप्ताह तक जारी रहने वाली गतिविधियों का आयोजन करेगी। इसके अर्न्तगत लोकप्रिय वार्ता, विज्ञान प्रदर्शन, इंटरएक्टिव विज्ञान क्विज आदि का आयोजन किया जाएगा।
विज्ञान समागम का प्रमुख उद्देश्य : स्कूली बच्चों, छात्रों के साथ संवाद
प्रत्येक शहर में स्कूली बच्चों और छात्रों की उत्सुकता, जिज्ञासा एवं कल्पना से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। क्विज, निबंध लेखन / पेंटिंग प्रतियोगिता और साइक्लोथॉन जैसे जागरूकता बढ़ाने वाले कार्यक्रमों की योजना तैयार की गई है।
बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचने और उन्हें इस प्रदर्शनी से जोड़ने के लिए विज्ञान समागम ने वेबसाइट www.vigyansamagam.in लांच किया है। वेबसाइट के जरिए लोग प्रदर्शनी से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। मोबाइल एप विज्ञान समागम भी जल्द ही लांच किया जाएगा। प्रत्येक शहर की प्रदर्शनी में आयोजित होने वाले टॉक शो, व्याख्यानों आदि को फेसबुक, ट्वीटर और यूट्यूब जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर लाइव दिखाया जाएगा।
प्रदर्शनी सभी शनिवार, रविवार और अवकाश के दिनों में खुली रहेगी। नेहरू विज्ञान केन्द्र मुंबई में प्रदर्शनी 10 बजे सुबह से 6 बजे शाम तक खुली रहेगी।