जल प्रौद्योगिकी पहल कार्यक्रम (डब्ल्यूटीआई) योजना

पृष्ठभूमि

अगस्त 2007 में प्रारंभ की गई जल प्रौद्योगिकी पहल का लक्ष्य शोध व अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देना और कम लागत पर सुरक्षित व पर्याप्त पेयजल उपलब्ध कराना है। इस पहल में स्वदेशी प्रयासों के माध्यम से विज्ञान व प्रौद्योगिकी के उचित तरीकों का प्रयोग किया जाता है। चूँकि सुरक्षित पेयजल का मुख्य आधार गुणवत्ता है, इसलिए ऐसी प्रक्रियाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है जो अतिसूक्ष्म कणों और निस्पंदन तकनीक का उपयोग करती है। इस पहल में शामिल है – उत्पादों की एक विश्वसनीय संख्या का पायलट परीक्षण और क्षेत्रीय सामाजिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए कुछ चयनित तकनीकों का संदर्भ तैयार करना। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखते हुए प्रौद्योगिकी मिशन ने अगस्त 2009 में जल के लिए जीत, वृद्धि और नवीकरण (डब्ल्यू ए आर) कार्यक्रम लांच किया। इसका उद्देश्य देश के विभिन्न भागों में जल की विभिन्न चुनौतियों से निपटने के लिए शोध आधारित सामाधानों के माध्यम से तकनीकी विकल्पों को उपलब्ध कराना था।

संक्षिप्त विवरण

विभिन्न सामाजिक स्थितियों की जल चुनौतियों से निपटने के लिए विभाग ने अनुकूल प्रौद्योगिकी समाधान के लिए आवश्यक ज्ञान नेटवर्क विकसित किया है। विभाग, तकनीकी कौशल, विज्ञान व प्रौद्योगिकी के इनपुट और प्रौद्योगिकी मिशन को लागू करने के क्रम में प्राप्त अनुभव को अत्यधिक महत्व देता है। विभाग ने पहल को जारी रखने तथा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शोध व अनुसंधान संस्थानों, राज्य सरकारों, केन्द्रीय मंत्रालयों व अन्य हितधारकों के तालमेल विकसित करने का प्रस्ताव दिया है। डब्ल्यूएआर की गतिविधियों को जल प्रौद्योगिकी मिशन में शामिल कर लिया गया है। इसके कार्यान्वयन दृष्टिकोण में डीएसटी द्वारा लागू किये गए मिशन और डीएसटी के पहल की प्रक्रियाओं को शामिल किया गया है।

लक्ष्य व उद्देश्य

भारत केंद्रित “समाधान-विज्ञान” पहल का लक्ष्य है – शोध व अनुसंधान क्षमता को मजबूत करना तथा देश की वर्तमान व भविष्य की जल-चुनौतियों से निपटने के लिए तकनीकी समाधानों को विकसित करना।

  1. वर्तमान और भविष्य की जल-चुनौतियों से निपटने के लिए राष्ट्रीय और सहयोगी शोध को बढ़ावा देना।
  2. शोध पेशेवरों और जल प्रबंधकों का क्षमता निर्माण।
  3. सामाजिक स्थितियों के अनुकूल समाधान-पद्धति विकसित करना।
  4. अनुसंधान निष्कर्षों के लिए केन्द्र/राज्य स्तरीय विभागों के साथ समन्वय विकसित करना।
  5. उद्योग जगत के साथ मिलकर विज्ञान व प्रौद्योगिकी आधारित सतत प्रारूप विकसित करना तथा उपयुक्त नीति-इनपुट की अनुशंसा करना।
  6. प्रौद्योगिकी की क्षेत्र विशेष उपयुक्तता और इसका तकनीक-आर्थिक-सामाजिक संदर्भ में विश्लेषण करना।
  7. प्रभाव मूल्यांकन अध्ययन/शोध पैकजों का विकास/तकनीकी स्थिति की रिपोर्ट तथा अन्य दस्तावेजों को तैयार करना जिनकी आवश्यकता विभिन्न उपयोगकर्ताओं व एजेंसियों को होती है।
  8. प्रौद्योगिकी समाधानों/तकनीकों का उन्नयन।

कार्यक्षेत्र

लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए इस पहल को उपयोगकर्त्ता-केन्द्रित बनाया गया है। इसमें प्रयोगशाला शोध तथा क्षेत्र के अनुप्रयोग शोध दोनों ही शामिल है। इस पहल के कार्यक्षेत्र में शोध व अनुसंधान की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला शमिल है – जल के संदर्भ में मूलभूत और अनुप्रयोग आधारित शोध, पूर्व प्रतिस्पर्धी तकनीकी विकास, प्रौद्योगिकी आधारित तकनीकी विकल्पों का वर्गीकरण और मूल्यांकन, प्रयोगशालाओं और संस्थानों द्वारा प्रस्तुत तकनीक  का पायलट-प्रदर्शन, उपलब्ध तकनीकी विकल्पों का मूल्यांकन से लेकर तकनीकी विकल्पों का एक संग्रह तैयार करना तथा सामाजिक-आर्थिक परिप्रेक्ष्य में नये व उपलब्ध तकनीकी कौशल का उपयोग करते हुए सस्ते समाधानों को विकसित करने तक जो सामाजिक रुप से मान्य हों और पर्यावरण अनुकूल हों। इसकी परिकल्पना में क्षमता निर्माण करने वाली गतिविधियां शामिल हैं, जैसे- मानव और संस्थागत क्षमता निर्माण यथा शोधकर्त्ताओं के लिए फैलोशिप, जल-प्रबंधकों का प्रशिक्षण आदि ताकि वे सर्वाधिक उपयुक्त तकनीक की पहचान व चयन कर सकें, जल अनुसंधान के लिए उत्कृष्टता केन्द्रों को प्रोत्साहन देना और अंतिम स्थान तक पहुँच बनाने के लिए नवजात जल प्रौद्योगिकी को पोषण प्रदान करना आदि।

महत्वपूर्ण क्षेत्र

इस पहल के महत्वपूर्ण क्षेत्र निम्न हैं – उपयोगकर्त्ताओं द्वारा तकनीक आधारित समाधान की आवश्यकता, हितधारकों  द्वारा शोध व अनुसंधान की आवश्यकता, विज्ञान व प्रौद्योगिकी की आवश्यकताओं का मूल्यांकन ताकि जल-क्षेत्र में तकनीकी दक्षता प्राप्त की जा सके, आदि। महत्वपूर्ण क्षेत्रों से संबंधित प्रस्तावों का विवरण, डीएसटी वेबसाइट पर समय-समय पर अपलोड किये जाते हैं।

लाभार्थी

प्रस्तावों में दी गई विशिष्ट गतिविधियों के उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए निम्न व्यक्ति/संस्थान परियोजना का प्रस्ताव दे सकते हैं –

  1. सार्वजनिक, निजी और स्वैच्छिक क्षेत्र में काम कर रहे शिक्षाविद् और वैज्ञानिक; वि.व.प्रौ. आधारित स्वैच्छिक संगठन।
  2. अकादमिक और अनुसंधान व विकास संस्थान, उद्यम, राज्य सरकार निकाय जैसे एस एंड टी परिषद्, जल-क्षेत्र में काम कर रहे स्वायत्त निकाय; और
  3. यदि परियोजना गतिविधियों मे बहु-विभागीय और बहु-संस्थागत भागीदारी की आवश्यकता है तो व्यक्तियों / संस्थानों के नेटवर्क का उपयोग किया जा सकता है। ऐसे संभावित विकल्पों में शामिल हैं – उद्योग जगत / एनजीओ के सहयोग से अकादमी / आरएंडडी संस्थानों द्वारा किये गये कार्य; आरएंडडी संस्थान / उद्योगजगत / एनजीओ का साथ मिलकर काम करना; राज्य सरकार के विभाग, एस एंड टी क्षेत्रीय समूह और स्थानीय पंचायत।

कवरेज क्षेत्र

 पहल राष्ट्र के माध्यम से कार्यक्रम को लागू करने की परिकल्पना करती है।

समय सीमा

डब्ल्यू टी आई के अन्तर्गत केवल विशिष्ट प्रस्तावों पर ही विचार किया जाएगा। जल प्रौद्योगिकी पहल कार्यक्रमके तहत प्राथमिकता वाले क्षेत्रों और प्रतिबद्धताओं का उल्लेख प्रत्येक वर्ष प्रस्तावों के आमंत्रण में किया जाता है जिसे डीएसटी के वेबसाइट पर अप्रैल महीने में अपलोड किया जाता है। मूल्यांकन के मानक और मूल्यांकन प्रक्रिया, प्रस्ताव दस्तावेज का हिस्सा होती हैं। इच्छुक उम्मीदवार आमंत्रण के अनुरूप आवेदन कर सकते हैं। हालाँकि जिन परियोजनाओं को पूर्व में सहयोग प्रदान किया गया है और जिन्हें तार्किक समापन के लिए अगले चरण में भी सहयोग की आवश्यकता है तो ऐसी परियोजनाओँ पर आमंत्रण के कार्यक्षेत्र से पृथक होकर भी विचार किया जा सकता है :

 

शहरी जल प्रणालियों पर डी एस टी-एन डब्ल्यू ओ संयुक्त कॉल (अंतिम तिथि: 10 सितंबर 2018)

“भारत और यू.के. में जल गुणवत्ता अनुसंधान” पर भारत-यू.के. कार्यशाला रिपोर्ट माँग आधारित| [PDF]810.23 KB

जल समाधान के लिए जल प्रौद्योगिकी पहल (डब्ल्यू टी आई-2016) के तहत प्रस्तावों का आमंत्रण|

जल प्रौद्योगिकी शोध और नवाचार केन्द्रों (वाटर-आई सी) के लिए जल प्रौद्योगिकी पहल (डब्ल्यू टी आई-2017) के तहत प्रस्तावों का आमंत्रण

वर्षवार परियोजना सूची

2007-08[PDF]0 bytes 2008-09[PDF]0 bytes 2009-10[PDF]0 bytes 2010-11[PDF]0 bytes 2011-12[PDF]0 bytes 2012-13[PDF]0 bytes 2013-14[PDF]0 bytes

1.आर्सेनिक परिशिष्ट – पेयजल में आर्सेनिक अशुद्धता पर आरएंडडी गतिविधियां[PDF]4.97 MB
2. डीएसटी इंटेल मिशन परियोजनाओं पर परिचय पुस्तिका[PDF]1.91 MB
3. जलगुणवत्ता अनुसंधान पर भारत – यू.के. की संयुक्त परियोजनाओं पर परिचय पुस्तिका[PDF]1.31 MB

अलवणीकरण समाधान प्रदान करने वालों के नामांकन के लिए आमंत्रण।[PDF]70.71 KB

स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान पहल
वैज्ञानिक-जी / प्रमुख वैज्ञानिक 'ई'
डॉ. संजय बाजपेयी
वैज्ञानिक-जी / प्रमुख
प्रौद्योगिकी मिशन सेल जल और सौर ऊर्जा
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन, न्यू महरौली रोड
नई दिल्ली- 110016
टेली : 011-26590283 / 26565337
फैक्स: 011-26510686
ईमेल:sbajpai[at]nic[dot]in
डॉ. नीलिमा आलम
वैज्ञानिक 'ई'
प्रौद्योगिकी मिशन सेल जल और सौर ऊर्जा
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
प्रौद्योगिकी भवन, न्यू महरौली रोड
नई दिल्ली - 110016
टेली: 011-26590467
ईमेल: neelima[dot]alam[at]nic[dot]in