कार्यान्वयन दृष्टिकोण आशयित प्रतिभागियों के लिए विशिष्ट निधीयन अवसरों में अंतरित होता है। समय-समय पर शुरू किए गए प्रस्ताव आह्वानों में निर्दिष्ट गतिविधियों के उद्देश्यों के आधार पर, प्रस्तावों को निम्नलिखित द्वारा प्रस्तावित किया जा सकता है:
- सार्वजनिक, निजी और स्वैच्छिक क्षेत्रों में कार्यरत वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकीविद
- एसएंडटी आधारित ऐसे स्वैच्छिक संगठन, जो ग्रामीण क्षेत्रों में कानूनी स्थिति के साथ या सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1860 के तहत पंजीकृत सोसायटी के रूप में अथवा भारतीय ट्रस्ट अधिनियम 1982 के तहत या धर्मार्थ अथवा धार्मिक अधिनियम 1920 या संबंधित राज्य अधिनियम के तहत पंजीकृत ट्रस्ट के रूप में काम कर रहे हैं। संगठन को पंजीकरण के बाद कम से कम तीन साल के लिए अस्तित्व में होना चाहिए।
- शैक्षणिक और आरएंडडी संस्थान, भारतीय उद्यम, राज्य सरकार के एसएंडटी परिषदों, स्वायत्त संस्थानों जैसे निकाय
- अंतर-विषयक भागीदारी की अपेक्षा वाली गतिविधियों के लिए संस्थानों का बहु-संस्थागत नेटवर्क
आह्वान के उद्देश्यों के लिए प्रासंगिक कोई अन्य अभिज्ञात हितधारक