इन वर्षों में, सीड ने अपने भागीदार एसएंडटीआधारित फील्ड समूहों और एसएंडटीसंस्थानों की प्रतिभागिता के साथ कई क्षेत्रों में प्रतिकृतियोग्य प्रौद्योगिकी पैकेजों और फील्ड मॉडलों के विकास और प्रदर्शन में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। पिछले 7 वर्षों (2014-2021) के दौरान संक्षिप्त उपलब्धियां निम्नानुसार हैं-
- 26 एसएंडटी संचालित कोर सहायता समूहों (सीएसजी) को देश भर में चिन्हित क्षेत्रों में विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने के लिए सहायित दिया गया था जहाँ 51 प्रौद्योगिकी पैकेज विकसित किए गए थे और उन्हें630 सूक्ष्म उद्यमों और 5,573 हरित रोजगारों के निर्माण के साथ लगभग 10,000 व्यक्तियों को स्थानांतरित किया गया। इन अंत:क्षेपों से महिला एसएचजी के 12,134 सदस्य और 12,282 किसान लाभान्वित हुए।
- 5 उत्पादों के व्यावसायीकरण सहित दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए विकसित सहायक यंत्रों के 30 प्रोटोटाइपों का सफल क्षेत्र परीक्षण किया गया। 10 सॉफ्टवेयर उपकरण मुक्त रूप से डाउनलोड के लिए उपलब्ध हैं।
- 210 युवा अनुसंधानकर्ताओं को सहायित किया गया और परियोजनाओं से 224 उत्पादों/प्रौद्योगिकी पैकेजों का सृजन हुआ। 376 कार्यशालाओं/प्रशिक्षणों/प्रदर्शनों के जरिए 36,750 लाभार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
- एसएंडटी निविष्टियों के जरिए जमीनी स्तर पर महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए 125 से अधिक परियोजनाओं को सहायित किया गया और लगभग 3000 महिलाओं को सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विभिन्न आजीविका कार्यकलापों का प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
- विभिन्न भौगोलिक अवस्थितियों में 40 महिला प्रौद्योगिकी पार्क स्थापित किए गए और 1000 से अधिक महिलाओं को उन्नत तकनीकों जैसे चॉकलेट की 3डी प्रिंटिंग, आईसीटी टूल्स सीएडी, न्यूट्रिया-गार्डन, कृषि-खाद्य प्रसंस्करण, कुक्कुटपालन,उत्पत्तिशाला, अपशिष्ट प्रबंधन, कागज पुनर्चक्रण, तथा कई अन्य प्रौद्योगिकियेां में प्रशिक्षित किया गया।
- विभिन्न आजीविका क्षेत्रों में विभिन्न राज्यों में टीएसपी और एससीएसपी योजनाओं के तहत लगभग 200 एसएंडटी परियोजनाओं से 30 अभिनव और नवप्रवर्तकप्रौद्योगिकियों के विकास के माध्यम से लगभग 50000 एससी और एसटी आबादी लाभान्वित हो रही है।
- 48 एनजीओ के माध्यम से 16 राज्यों के 93 एससी गांवों में संसाधन प्रबंधन और विकास पर समन्वित कार्यक्रम लागू किया गया है, जिससे 15,000 से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं और उनकी मासिक आय में 4000 रुपये से लेकर 5000 रुपये तक की वृद्धि हुई है। 1000 से अधिक युवाओं को गैर-कृषि कार्यों में नियोजित किया गया और 84 डेयरी इकाइयां स्थापित की गईं। परियोजना के तहत 30 गांवों में 350 शौचालयों और 400 सोख्ता गड्ढों, 3 आरओ संयंत्रों और 145 एस्ट्रा मॉडल कुक स्टोव का निर्माण किया गया।
- लोगों और संरक्षित क्षेत्रों पर समन्वित कार्यक्रम से13 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में वन सीमांत क्षेत्रों और वन्य जीवन अभयारण्यों में 30000 आदिवासियों के लिए आजीविका के विकल्प दोगुने हो गए हैं। आय में 12,000/-रुपये प्रति वर्ष तक की वृद्धि के साथ 4764 पुरुषों और 3312 महिलाओं को विभिन्न कौशल विकास गतिविधियों में प्रशिक्षित किया गया।
- अ.जा. और अ.ज.जा. समुदायों की आजीविका प्रणालियों का सुदृढ़ीकरण और सामाजिक उद्यमों का सृजन करके उनके विकास हेतु 20 विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष (एसटीआई) केंद्रों की स्थापना की गई।
- अ.जा./अ.ज.जा. समुदायों की विशिष्ट आवश्यकताओं के बीच अंतराल को अभिज्ञात करने और उनके मानचित्रण के लिए विभिन्न राज्य एसएंडटी परिषदों में 8 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठों की स्थापना की गई।
- हस्तांतरित प्रौद्योगिकियां: डॉटबुक, जीएसएम-जीपीएस आधारित लोकेटर और संचारी उपकरण, कम्फॉर-टेबल, ट्रो गार्ड, इंटरलाइन ब्रेल स्लेट, नमदा बुनकरों के लिए कम लागत वाली कॉर्डिंग मशीन, अत्तर के उत्पादन के लिए बेहतर डीग-भपका यूनिट, हस्तचालित और यंत्रीकृत बांस स्ट्रिपिंग मशीन आदि।
विकलांग और बुजुर्गों के लिए मुफ्त में डाउनलोड करने योग्य सॉफ्टवेयर: मणिपाल ई एम्सलर©, मोबाइल फोन सहायित दूरस्थ वाणी चिकित्सा, श्रवण बाधित बच्चों के सीखने के लिए विज़ुअलाइज़ेशन फ्रेमवर्क, स्पीच रिद्म (एफ0) मॉडल, पाठ का भारतीय सांकेतिक भाषा में रूपांतरण, ऑटिस्टिक बच्चों के लिए अंत:क्रिया शिक्षण सहायक सामग्री, इंडियन ऑटिज्म ग्रेडिंग टूल (आईएजीटी) आदि।