कार्यक्रम और प्रस्ताव

1. आजीविका हेतु  स्थानीय नवाचार सुदृढीकरण, उन्नयन और पोषण (SUNIL) कार्यक्रम

  • आजीविका प्रणाली की दक्षता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी वितरण और उद्यम निर्माण मॉडल
  • सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी अंतःक्षेप (टीआईएएसएन)
  • समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ), गैर सरकारी संगठनों, ज्ञान संस्थानों (केआई) और सामाजिक स्टार्ट-अप का  क्षमता वर्धन

2. दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए प्रौद्योगिकी अंतःक्षेप (TIDE)

3. युवा वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिए योजना (SYST)

4. अनुसूचित जाति उप योजना (SCSP) और जनजातीय उप योजना (TSP)

  • विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष  (एसटीआई) हब

5. महिलाओं के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T for Women)

  • महिला प्रौद्योगिकी पार्क (WTP)

6. सामुदायिक उत्थान संसाधन केंद्र (CRRC)

कई अन्य नेटवर्क कार्यक्रम जैसे शीत मरूभूमि क्षेत्र (CODAR) और शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्र (ASAR), सतत कृषि ग्रामीण परिवर्तन समग्र पहल (SARTHI), पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए प्रौद्योगिकी अंतःक्षेप: कार्यकलाप अनुसंधान और नेटवर्किंग और लोगों और संरक्षित क्षेत्रों (PPA) के माध्यम से आजीविका संवर्धन (TIME-LEARN) को प्रभागद्वारा सहायित  किया गया है, चित्र 1 ।

 

ज्ञान

प्रौद्योगिकी

परिदान

युवा वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिए योजना (सिस्ट)

आजीविका हेतु  स्थानीय नवाचार सुदृढीकरण, उन्नयन और पोषण (सुनील) कार्यक्रम

सामाजिक जरूरतों को पूरा करने के लिए प्रौद्योगिकी अंतःक्षेप (टीआईएएसएन)

 

ग्रामीण नवाचार और सामाजिक उद्यमिता के लिए प्रौद्योगिकी त्वरण मंच (टीएपी-राइज)

 

विज्ञान प्रौद्योगिकी नवाचार (एसटीआई) हब

दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप (टाइड )

  • अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी)
  • जनजातीय उप योजना (टीएसपी)

महिलाओं के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी)

महिला प्रौद्योगिकी पार्क (डब्ल्यूटीपी)

 

सामुदायिक उत्थान संसाधन केंद्र (सीआरआरसी)

 

नेटवर्क कार्यक्रम और अन्य आवश्यकता-आधारित पहल

स्वदेशी गाय से प्रमुख उत्पादों के अनुसंधान संवर्धन के माध्यम से वैज्ञानिक उपयोग: सूत्र-पीआईसी भारत

       

चित्र 1: सीड प्रभाग, डीएसटी के तहत योजनाएं और कार्यक्रम

1.    आजीविका हेतु स्थानीय नवाचार सुदृढीकरण, उन्नयन और पोषण (SUNIL) कार्यक्रम

ग्रामीण क्षेत्रों के लिए तकनीकी उन्नति (TARA) कार्यक्रम को एस एंड टी को दीर्घकालिक कोर सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया था ताकि ग्रामीण और वंचित क्षेत्रों में काम करने वाले स्वैच्छिक संगठनों को उचित तकनीकी समाधान और परिदान प्रदान करने में सक्षम बनाया जा सके। पिछले पांच वर्षों (2016-21) में, देश भर में पहचाने गए क्षेत्रों में विशिष्ट चुनौतियों का सामना करने के लिए 26 एस एंड टी संचालित कोर सहायता समूहों (CSG) को सहाईय किया गया, जहां 51 प्रौद्योगिकी पैकेज विकसित किए गए थे और 6,155 व्यक्तियों को अंतरित किए गए थे, जिसके परिणामस्वरूप 630 सूक्ष्म उद्यमों और 5,573 हरित नौकरियां सृजित हुई ।

कार्यक्रम के तहत सहायित  तकनीकों का संग्रह http://dsttara.in//InnerPages/Technology_Compendium.aspxपर उपलब्ध है। अधिक जानकारी www.dsttara.inपर उपलब्ध है।

2022 में, तारा कार्यक्रम को सुनील कार्यक्रम के रूप में विकसित किया गया है, जिसका लक्ष्य प्रौद्योगिकी वितरण प्रणाली को मजबूत करना और समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए सामाजिक उद्यम मॉडल का निर्माण करना है। कार्यक्रम जमीनी स्तर पर अधिक व्यापक समाधान प्रदान करने के लिए अन्य सीबीओ/एसएचजी/एफपीओ/सामाजिक उद्यम/समुदाय को शामिल करते हुए एनजीओ और ज्ञान संस्थानों (KI) के साथ एकमात्र कार्यान्वयन भागीदार के रूप में एनजीओ की जगह एक संयुक्त कार्यान्वयन मॉडल (Lab-Land-Lab) विकसित करता सुनील कार्यक्रम का फोकस न केवल नागरिकों की जरूरतों को पूरा करने के लिए कई क्षेत्र-परीक्षण मॉडल और स्थान-विशिष्ट तकनीकों के परिनियोजन तक सीमित है, बल्कि यह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन; पेयजल और स्वच्छता; शिक्षा; स्वास्थ्य और पोषण; सामाजिक सुरक्षा; स्थानीय परिवहन और विकास; बिजली और स्वच्छ ऊर्जा; मनोरंजन; एकीकृत-खेती और सर्वोत्तम प्रथाओं; लोगों को वित्तीय सेवाओं से जोड़ना; फोन और इंटरनेट सुविधाएं; आजीविका और कौशल विकास आदि के क्षेत्र में उनके विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ज्ञान, कौशल वृद्धि, क्षमता निर्माण और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार को भी प्रोत्साहित करता है। । यह निम्नलिखित तीन प्रमुख श्रेणियों में सहायता करता है-

1. आजीविका प्रणाली की दक्षता में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी वितरण और उद्यम निर्माण मॉडल:

  • केआई, गैर सरकारी संगठनों और समुदाय को शामिल करते हुए Lab-Land-Lab दृष्टिकोण के माध्यम से आजीविका प्रणाली की सबसे कमजोर कड़ी को मजबूत करने के लिए उभरते और स्थानीय रूप से उपयुक्त एसटीआई समाधान प्रदान करना;
  • ईडब्ल्यूएस सोसाइटी के लिए सामाजिक उद्यमिता विकास को प्रोत्साहित करने के लिए स्थानीय आजीविका प्रणाली के सबसे मजबूत लिंक का उपयोग करना ।

2.  सामाजिक आवश्यकताओं को संबोधित करने के लिए प्रौद्योगिकी अंतःक्षेप(TIASN)

  • सामुदायिक स्तर पर स्थानीय और प्रणालीगत आवश्यकता और एसटीआई समाधानों की पहचान करने पर अनुसंधान
  • असंगठित क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों, ग्रामीण कारीगरों, भूमिहीन मजदूरों और शहरी आबादी जैसे आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के सुधार के लिए वैज्ञानिक और आवश्यकता-आधारित अभिनव प्रौद्योगिकियों का विकास;
  • आजीविका प्रणाली की ताकत और कमजोरियों को पहचानना;
  • स्थानीय रूप से उपयुक्त प्रौद्योगिकियों का परीक्षण किए गए पायलट मानकीकरण
  • स्थानीय नवाचार प्रणाली की पहचान करना और राष्ट्रीय नवाचार प्रणाली के साथ जोड़ना;
  • एस एंड टी ज्ञान प्रणाली के साथ कल्याण प्रणाली का मानचित्रण;
  • सामुदायिक स्तर पर एस एंड टी आधारित परियोजनाओं के कार्यान्वयन से संबंधित अन्य प्रणालीगत अंतराल।

3समुदाय आधारित संगठनों (CBO), गैर सरकारी संगठनों, ज्ञान संस्थानों (KI) और सामाजिक स्टार्ट-अप का क्षमता वर्धन:

  • सीबीओ और एनजीओ की एस एंड टी क्षमता बढ़ाने के लिए जागरूकता निर्माण कार्यक्रम, कार्यशालाएं, गोलमेज चर्चा, सम्मेलन, प्रदर्शनियां, कौशल और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना;
  • वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं (पोस्टडॉक, पीएचडी और एमटेक छात्रों) को सामाजिक विकास के मुद्दों, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी), राष्ट्रीय प्राथमिकताओं (एनपी) और वैज्ञानिक सामाजिक जिम्मेदारियों (एसएसआर) पर ज्ञान प्रदान करना;
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सक्षम गैर सरकारी संगठनों का मानकीकरण।

2.   दिव्यांगों और बुजुर्गों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप (TIDE)

टाइड कार्यक्रम विभिन्न सहायक उपकरणों, प्रौद्योगिकियों, तकनीकों के संवर्धन और विकास के माध्यम से दिव्यांगजनों और बुजुर्गों के लिए समावेशिता और सार्वभौमिक पहुंच बनाने के लिए डीएसटी की एक अनूठी पहल है, जो भारतीय परिवेश के लिए किफायती  और अनुकूलनीय है। प्रस्तावों को नीचे उल्लिखित छह (6) विभिन्न व्यापक विषयगत क्षेत्रों के तहत सहायित किया गया है।.

  • बुजुर्ग/वृद्धावस्था क्षेत्र
  • दृश्य विकलांगता (कम दृष्टि सहित)
  • बौद्धिक विकलांगता (सीखने की अक्षमता सहित)
  • श्रवण और भाषण अक्षमता
  • लोकोमोटर विकलांगता
  • एकाधिक विकलांगता

विभिन्न श्रेणियों में टाइडकार्यक्रम के तहत विकसित कुछ उल्लेखनीय प्रौद्योगिकियां इस प्रकार हैं:

 

बुज़ुर्ग :

हिप प्रोटेक्शन डिवाइस, ऑटोमैटिक पिल बॉक्स, मेडिसिन रिकग्निशन एंड अलर्टिंग सिस्टम, फॉल डिटेक्टर, डेंटल अटैचमेंट, वॉकर और व्हीलचेयर।.

दिव्यांगजन:रूट कैनाल अनुप्रयोगों के लिए संज्ञानात्मक आधारित इंटेलिजेंट मोबिलिटी डिवाइस (व्हील चेयर), एपेक्स लोकेटिंग, एंटी-माइक्रोबियल और अनुकूली गुट्टा पर्च (जीपी) पॉइंट

विशेष क्षमता वाले बच्चे:स्पीच-इनपुट स्पीच-आउटपुट कम्युनिकेशन एड (एसआईएसओसीए), इंटेलिजेंट ट्यूटरिंग सिस्टम और ऑटिस्टिक बच्चों के लिए इंटरएक्टिव टीचिंग एड (आईटीएएसी), ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) वाले बच्चों की पहचान और मूल्यांकन के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित नॉन-इनवेसिव सिस्टम।

दृष्टिहीन:बौद्धिक और दृष्टिबाधित बच्चों की शिक्षा के लिए डॉटबुक और इंटरलाइन ब्रेल स्लेट, दृष्टिहीन सहायक उपकरण.

श्रवण और भाषण विकलांगता:स्पीच-इनपुट स्पीच-आउटपुट कम्युनिकेशन एड (एसआईएसओसीए),

3.    युवा वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों के लिए योजना (SYST)

यह योजना युवा वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकीविदों (आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि पर 35 वर्ष से कम) को सामाजिक रूप से प्रासंगिक चुनौतियों की पहचान करने और प्रयोगशाला-से-भूमि दृष्टिकोण का उपयोग करके एस एंड टी-आधारित समाधान प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करती है। एक प्रस्ताव के रूप में अभिनव एस एंड टी विचारों को निम्नलिखित पहचान विषयों के तहत युवा शोधकर्ताओं से आमंत्रित किया जाता है:

  • कृषि, ग्रामीण विकास, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य में सामाजिक अनुप्रयोग के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता, रोबोटिक्स और आईओटी
  • मानव और जानवरों के लिए पोषण संबंधी पूरक और मूल्य वर्धित खाद्य उत्पाद
  • पादप-आधारित स्वास्थ्य उत्पाद, वैज्ञानिक मान्यता और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली का उन्नयन
  • लागत प्रभावी स्वास्थ्य और स्वच्छता सहायता
  • रोग की पहचान और निगरानी के प्रभावी स्वदेशी तरीके
  • प्राकृतिक संसाधन आधारित आजीविका प्रणाली
  • कृषि उपकरण और कृषि उत्पाद
  • आय बढ़ाने वाली कृषि पद्धतियां
  • पर्यावरण स्थिरता और नवीकरणीय ऊर्जा
  • योगात्मक विनिर्माण

सिस्ट के तहत कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां इस प्रकार हैं:

  • औद्योगिक श्रमिकों के बीच व्यावसायिक खतरों को कम करने के लिए, धातु काटने और आकार देने के ऑपरेशन में उपयोग हेतु गैर-खाद्य तेलों से ग्रीन कटिंग द्रव विकसित किया गया था।
  • कचरे से धन उत्पन्न करने के लिए लकड़ी के बुरादे  और अपशिष्ट प्लास्टिक का उपयोग करके एक लकड़ी बहुलक हाइब्रिड नैनोकम्पोजिट विकसित किया गया था।
  • बुजुर्गों के लिए एक सेंसर और लाइट इंटीग्रेटेड वॉकिंग स्टिक-कम-छाता विकसित किया गया ।
  • कचरे से धन अर्जन के तहत ग्रामीण भारत को ज्योतिमान करने और आजीविका  वैविध्यता सृजित करने के लिए फ्यूज्ड या वेस्ट सीएफएल बल्बों को रीसाइक्लिंग की एक और परियोजना।
  • किसानों के लाभ के लिए राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी), पुडुचेरी में इंटरनेट/मोबाइल के माध्यम से वास्तविक समय में उच्च घनत्व वाले जलीय कृषि खेतों के लिए महत्वपूर्ण जल गुणवत्ता मापदंडों की निगरानी और रिपोर्ट करने के लिए एक कम लागत वाली ऊर्जा कुशल प्रणाली विकसित की गई ।
  • सीएसआईआर राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) में गाउटी गठिया की स्थिति के उपशमन हेतु एक किफायती  पौधा आधारित सहक्रियात्मक प्राकृतिक अनुपूरक विकसित किया गया ।आयुष मोड के तहत प्रौद्योगिकी अंतरण प्रक्रिया शुरू की गई है।
  • पानी में भारी धातुओं के संवेदन के लिए एक स्मार्टफोन इमेजिंग एडेड पॉइंट-ऑफ-केयर डिपस्टिक प्लेटफॉर्म विकसित किया गया था।
  • दो फसलों टमाटर और आलू के 39 रोगों का पता लगाने के लिए एक एआई आधारित मोबाइल ऐप।
  • मोटरसाइकिल डीहस्किंग और तेल निष्कर्षण मशीनों के माध्यम से पोंगामिया का आसान संग्रह और प्रसंस्करण जैव ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए आत्मविश्वास प्रदान करता हैhttps://dst.gov.in/easy-collection-and-processing-pongamia-through-motorised-dehusking-oil-extraction-machines-brings

4.    महिलाओं के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी (S&T for Women)

1982 में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इनपुट के साथ महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई योजना 'महिलाओं के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी' ने देश भर में लगभग 50,000 से अधिक महिलाओं को लाभान्वित किया है। जमीनी स्तर पर महिलाओं की आजीविका में सुधार लाने के उद्देश्य से विविध क्षेत्रों में लगभग 1500 परियोजनाओं को सहायित किया गया है।विविध प्रौद्योगिकियों के अभिसरण के लिए सिंगल-विंडो हब के रूप में स्थापित लगभग 46 महिला प्रौद्योगिकी पार्कों को फॉरवर्ड एंड बैकवर्ड लिंकेज के साथ एकीकृत करके 20,000 से अधिक महिलाओं को वैज्ञानिक ज्ञान के साथ नए व्यापार और कौशल में क्षमता निर्माण के लिए लाभान्वित किया गया जिससे महिला उद्यमियों का भी विकास हुआ। इस कार्यक्रम के तहत, महिला प्रौद्योगिकी पार्कों की स्थापना, कठिन परिश्रम में कमी, स्वास्थ्य और पोषण, व्यावसायिक खतरों को कम करने और आजीविका की स्थिति में सुधार से संबंधित परियोजनाओं को प्रमुख महिला लाभार्थियों द्वारा सहायित किया जाता है।

 

i).    महिला प्रौद्योगिकी पार्क

महिला प्रौद्योगिकी पार्क (डब्ल्यूटीपी) का उद्देश्य किसी क्षेत्र में महिलाओं की प्रमुख आजीविका प्रणाली की दुर्बलतम कड़ी को सुधारना और विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचारों के अंतःक्षेप के माध्यम से आजीविका प्रणाली की सबसे मजबूत कड़ी के आधार पर सामाजिक उद्यमिता और महिला रोजगार को बढ़ावा देना है।प्रयास किए जाते हैं कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में महिलाएं क्षेत्र विशिष्ट संसाधनों का उपयोग करते हुए, क्षेत्र विशिष्ट संसाधनों का उपयोग करके राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के अनुसार कौशल विकास और क्षमता वर्धन के लिए डब्ल्यूटीपी में प्रशिक्षण प्राप्त करें।वर्तमान में देश में विभिन्न स्थानों पर 25 महिला प्रौद्योगिकी पार्क संचालित हैं। इन डब्ल्यूटीपी में ऑनलाइन/ऑफलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से पिछले वर्ष के दौरान लगभग 1500 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया था। https://dst.gov.in/success-stories-dst पर कुछ मामलों में प्राप्त सफलता की कहानियाँ दी गई हैं।

5.    अनुसूचित जाति उप योजना (SCSP) और जनजातीय उप योजना (TSP)

अनुसूचित जातियों के लिए विशेष घटक योजना (एससीएसपी) और जनजातीय उप योजना (टीएसपी) योजनाएं विज्ञान और प्रौद्योगिकी के इनपुट के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी को सशक्त बनाती हैं और उनकी सतत आजीविका और समग्र विकास का सृजन करती हैं।सीड प्रभाग ने पिछले दो दशकों के दौरान विभिन्न राज्यों में कृषि, संसाधन प्रबंधन, सूक्ष्म उद्यम विकास, कला और शिल्प, कटाई के बाद प्रौद्योगिकियों, स्वास्थ्य और पोषण, इंजीनियरिंग और संबद्ध पहलुओं, प्रशिक्षण और कौशल विकास, पेयजल और स्वच्छता और ऊर्जा के विविध क्षेत्रों में ज्ञान, दृष्टिकोण और कार्यप्रणाली में सुधार के साथ टीएसपी और एससीएसपी योजनाओं के तहत लगभग 500 एस एंड टी परियोजनाओं को सहायित किया गया ताकि एससी/एसटी समुदायों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सके और उन्हें विकास की मुख्यधारा में लाया जा सके।16 गैर-सरकारी संगठनों के नेटवर्क के माध्यम से 13 राज्यों और 1 संघ राज्य क्षेत्र में वन सीमांत क्षेत्रों और संरक्षित क्षेत्रों/वन्यजीव अभयारण्यों के आसपास 30,000 जनजातीय लोगों के विकास के लिए लोक और संरक्षित क्षेत्रों (पीपीए) पर एक समन्वित कार्यक्रम (पीपीए) कार्यान्वित किया गया ।

i).   विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार हब (STI Hub)

प्रणालीगत हस्तक्षेपों के माध्यम से अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) समुदायों के समग्र विकास के लिए देश के विभिन्न क्षेत्रों में विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआई) हब स्थापित किए गए हैं। ये एसटीआई हब सतत आजीविका के सृजन और उनकी बढ़ती आकांक्षाओं के अनुरूप जीवन की गुणवत्ता में सुधार के माध्यम से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की आबादी के न्यायसंगत समावेशी विकास के लिए उपयुक्त और प्रासंगिक एसटीआई दृष्टिकोणों के विकास, सुधार और वितरण को विकसित, पोषित और सुनिश्चित करते हैं।देश के विभिन्न क्षेत्रों में 20 एसटीआई हब (अनुसूचित जाति के लिए 13 और अनुसूचित जनजाति के लिए 7) स्थापित किए गए हैं ताकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों के माध्यम से प्रमुख आजीविका प्रणालियों में सबसे कमजोर संबंधों को दूर किया जा सके और आजीविका की ताकत के आधार पर सामाजिक उद्यमों का निर्माण किया जा सके।

6. समुदाय उत्थान संसाधन केंद्र (CRRC)

कोविड-19 संकट ने समुदाय के सामाजिक, व्यावसायिक और वित्तीय अवसंरचनाको प्रभावित किया है। कोविड स्थिति का सामना करने के लिए समुदाय को उत्थानशील बनाने के लिए 2021 में सीसीआरआरसी की स्थापना हेतु एक कार्यक्रम, जो कोविड-19 की दूसरी लहर में अत्यंत महत्वपूर्ण आवश्यकता के रूप में उभरा, शुरू किया गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य कोविड और कोविड उपरांत स्वास्थ्यलाभ  चरणों में रोकथाम, सुरक्षा, शमन, प्रतिक्रिया और प्रतिलाभ उपायों हेतु विभिन्न अन्य पहलों में वृद्धि के लिए एसटीआई आधारित अन्तःक्षेप प्रदान करना है। यह जोखिम में कमी, अनुकूलन और शमन के लिए विभिन्न आपदाओं के विरुद्ध आत्मनिर्भरता हेतु सामुदायिक स्तर पर संगत एसटीआई समाधानों की खोज और समकालिक   पैमाने का भी समर्थन करता है। यह सतत आजीविका के लिए समुदाय के एसटीआई आधारित आर्थिक और पारिस्थितिक उत्थान को मजबूत बनाने हेतु कार्यनीतियों को विकसित करेगा। सीसीआरआरसी, समय के साथ, सामुदायिक उत्थान संसाधन केंद्र (सीआरआरसी) के रूप में विकसित होंगे ताकि आजीविका प्रणाली को मजबूत बनाने, सामाजिक उद्यमों की स्थापना आदि के विभिन्न पहलुओं में समुदाय का एसटीआई आधारित उत्थान किया जा सके।

अन्य क्रियाकलाप

1.  कोविड-19 महामारी संबंधी गतिविधियां 

वर्ष 2020-21 में अभूतपूर्व कोविड-19 का प्रकोप देखा गया है। सीड प्रभाग ने सामाजिक, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग करके कोविड-19 पर वैज्ञानिक जागरूकता उत्पन्न करने हेतु ज्ञान संगठनों के समर्थन के लिए सलाह जारी की ताकि सामुदायिक स्तर पर प्रतिरोधक्षमता विकसित की जा सके और जारी परियोजनाओं के माध्यम से अपनी वैज्ञानिक सामाजिक दायित्व (एसएसआर) के भाग रूप में बीमारी की रोकथाम और आर्थिक बहाली से संबंधित चुनौतियों के समाधानार्थ अपने विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एस एंड टी) आधारित अन्तःक्षेपों का प्रदर्शन किया जा सके। इनमें से कुछ पहल नीचे दी गई हैं:

  • कोविड-19 परीक्षण हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के दिशानिर्देशों और सेवाओं के अनुसार सैनिटाइज़र के विकास और वितरण के लिए ज्ञान और संसाधन योगदान।
  • एम्स-नई दिल्ली, सफदरजंग नई दिल्ली, हरियाणा और पंजाब तथा उत्तर प्रदेश के पुलिस विभाग और राहत शिविरों में प्रवासी श्रमिकों में 10,000 लीटर से अधिक सैनिटाइज़र वितरित किया गया।
  • अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में जारी परियोजना के अंतर्गत गर्भवती महिलाओं हेतु एक मोबाइल एप आधारित नियमित परामर्श शुरू किया गया।
  • एसकेएयूएसटी, श्रीनगर द्वारा कृषि पशुओं के स्वास्थ्य की निगरानी हेतु टेलीमेडिसिन सुविधा शुरू की गई थी।
  • श्वसन संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु सीएसआईआर-एनबीआरआई द्वारा आयुर्वेद के सिद्धांतों पर हर्बल डिकंजेशन स्प्रे विकसित किया गया।
  • हर्बल सैनिटाइज़र का विकास किया गया और इसकी तकनीक को थोक उत्पादनार्थ कंपनियों को अंतरित किया गया ताकि किफायती दर पर सार्वजनिक प्रयोग के लिए सैनिटाइज़र की आपूर्ति को सतत रखा जा सके।
  • हर्बल सैनिटाइज़र नयाचार को स्थानीय स्तर पर वितरण के लिए स्वैच्छिक संगठनों के साथ भी साझा किया गया।
  • ग्रामीण स्थापनाओं में आवश्यकता पूर्ति के उद्देश्यों को रूपांतरित करके एक पोर्टेबल सैनिटाइज़र बेंच विकसित की गई।

सीड प्रभाग द्वारा कोविड उपायों की रिपोर्ट https://dst.gov.in/sites/default/files/Report%20on%20Interventions%20for%20SC%20%26%20ST-01.pdf[PDF]0 bytesपर संलग्‍न है।

http://dsttara.in//InnerPages/COVID.aspx

  1. आत्‍मनिर्भर भारत विज्ञान एवं समाज सेतु (S34ANB)

सीड प्रभाग – डीएसटी ने प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय (पीएसए कार्यालय), विज्ञान प्रसार (वीपी), भारतीय वाणिज्‍य एवं उद्योग मंडल परिसंघ (फिक्की),नव भारत नवाचार प्रगति का त्‍वरण (अग्नि), विश्व वन्यजीव कोष (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) - भारत और हिमालयी पर्यावरण अध्ययन एवं संरक्षण संगठन (एचईएससीओ) के सहयोग से,8 सप्ताह में S34ANB वेब-क्लिनिक श्रृंखला का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस कार्यक्रम की संकल्पना पारितंत्र भागीदारों अर्थात् एसएंडटी आधारित स्वैच्छिक संगठन (एनजीओ), ज्ञान संगठन (केओ), सामाजिक स्टार्ट-अप, जमीनी स्‍तर के नवोन्‍मेषकों और एसटीआई आधारित उपयुक्त समाधानों हेतु समुदायों के बीच सहयोग और संवाद स्थापित करने के प्रयोजनार्थ ऑनलाइन मंच प्रदान करने के लिए की गई थी। इसे भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (आईएसटीआई) वेब पोर्टल द्वारा कार्यान्वित और प्रबंधित किया गया था। इस प्रयास का समस्‍त विवरण आईएसटीआई वेब पोर्टल https://indiascienceandtechnology.gov.in/science-society-setu पर अपलोड कर दिया गया है। वर्चुअल परिचर्चा आत्‍मनिर्भर भारत अभियान के अनुरूप पांच क्षेत्रकों नामत: कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र, एमएसएमई, अर्थव्‍यवस्‍था, सामाजिक अवसंरचना और आपस में संबद्ध क्षेत्रों पर केंद्रित थी। इसकी रिपोर्ट https://dst.gov.in/sites/default/files/Final%20report-Web%20clinic-25%20Feb.2021.pdf[PDF]0 bytes पर उपलब्‍ध है।

  1. टेक नीव@75 कार्यक्रम: आज़ादी का अमृत महोत्‍सव

टेक नीव@ 75 पूरे वर्ष मनाया जाने वाला समारोह है जिसमें समान समावेशी आर्थिक प्रगति के लिए समुदाय को सशक्‍त बनाने में विज्ञान प्रौद्योगिकी नवोन्‍मेष (एसटीआई) के प्रभाव को रेखांकित किया गया है। यह 75 घंटों का कार्यक्रम है और इसमें लाभार्थियों द्वारा अनुभव साझाकरण, सामाजिक परिवर्तनकर्ताओं की संगोष्‍ठी और विभिन्‍न हितधारकों द्वारा गोलमेज चर्चा शामिल है। इसमें आत्‍मनिर्भर भारत की ओर भारत की प्रगति से संबंधित 75 प्रभावकारी कहानियों का संकलन भी शामिल है। यह जमीनी स्‍तर से लेकर प्रयोगशाला अनुसंधान तक अवसरों को बढ़ावा देगा और पारंपरिक, स्थानीय तथा स्वदेशी ज्ञान के साथ तालमेल बनाने में मदद करेगा। इससे परिणामस्‍वरूप नए वैज्ञानिक विकास होंगे जो उत्‍थानशील समुदायों के निर्माण में योगदान देंगे।